जब हम किसी काम को करने का निर्णय लेते है।
तब हम एक विश्वास के साथ आगे बढ़ते है।
हमे किसी भी काम को पूरा करने के लिए हमारे विचारों और सोच में स्पष्टता रखनी चाहिए।हम कुछ करने से पहले ही नकरतमक विचारों को खुद पर हावी होने देते है।और उस नकरत्मता को उस काम से जोड़ देते है।हम में से कई लोग काम को करने से पहले ही उस काम के प्रति बहुत सारी आशाएं लगा लेते है।मगर फिर दूसरे ही पल सोचते है।की अगर ऐसा हो गया तो वैसा हो गया तो।
हम हमारे मस्तिष्क को अस्पष्ट रूप देने लगते है।और विचारो को स्पष्टता से देखते ही नही है।
जब एक डाक्टर एक मरीज का ऑपरेशन करता है।तो वह अपने विश्वास के साथ उसे ठीक करता है।बाकी उसके घर,परिवार और रिश्तेदार उसके जल्दी ठीक होने का विश्वाहस रखते है।और इसी विश्वास और ब्रह्मांड की ताकत से वह ठीक हो जाता है।
हम अधिकतर देखते है की एक उम्र के बाद लोग अपने जीने का विश्वास खोने लगते है।और खुद नकारत्मक सुझाव देते है।की अब तो उम्र हो गई।उनका मन और मस्तिष्क भी यही मानने लगता है।