- हमने अपने बड़े बुजुर्गो से सुना होगा की बचत किया करो भविष्य में काम आएगा मगर हम अपनी शादी के पहले की लाइफ बिंदास जीते है तब हमें हमारे भविस्य की कोई चिंता या टेंशन नहीं होती कोई प्रेशर नहीं होता।फिर शादी के बाद हमें वो सभी शब्द याद आने लगते है जो हमरे बड़े बुजुर्गो ने उस समय कहे थे। हमेशा पैसे के बारे में अमीरो से ज्यादा गरीब लोग सोचते है। और हमेशा पैसे की बात करते है।और एक नौकरी पेशा आदमी ये सोचता है। की कही जॉब न चली जाए। जॉब चली गई तो घर का खरचा कैसे चलेगा। बच्चो की पढाई कैसे होगी। और ये वही लोग है जिनकी भविष्य की कोई प्लानिंग नहीं होती। चल रहे होते है एक दूसरे को देख कर। ये सब सोचने के बाद भी नहीं रुकते करते रहते जो मिल जाये उसी काम को। आज भी लोगो की ये सोच है की जॉब लगते ही शादी करदेते है। की जॉब लग गई शादी करदो। जॉब में / काम में सेटल हो न हो शादी के बाद पूरी जिंदगी जरूर सेट हो जाती है।
- क्यकि फिर हम डर में जीना शुरू करदेते है। हमारी सोच, हमारे विचार हमें एक मिडिल क्लास इंसान बना देते है। और फिर लग जाते है ज्यादा कमाने की होड़ में। जिसे हम जिम्मेदारी कहते है। मगर असल में ये जिम्मेदीरी है ही नहीं ये डर है जिस डर के साथ हमें पूरी जिंदगी निकालनी होती है। ये डर है एक परिवार को आगे बढ़ने का अगर ये डर न होता और जिम्मेदारी अगर शादी करने से आरही होती तो आज इतने रिश्ते नहीं टूट रहे होते। जिम्मेदारी इंसान में खुद से आती है। और हमें लगता है की जिम्मेदारी शादी के बाद आती है।मगर ये सब शादी के कुछ दिन तो अच्छा लगता है। फिर ऐसे में हम हमारी पूरी लाइफ डर में बिता देते है।
- और हमारी लाइफ और माइंड मनी माइंडेड होजाता है बस ज्यादा पैसा ज्यादा पैसा और पूरी लाइफ नेगेटिव थॉट में चलती रहती है। हर एक सुबह नेगेटिव थॉट के साथ होती है। और हम रोज ज्यादा पैसे कमाने के आईडिया सर्च कर रहे होते है।जॉब में और ज्यादा सैलरी बढ़ाने पर जोर देते रहते है। हम दुसरो को देख कर खुद उनकी बराबरी कर रहे होते है। जैसे हम बचपन में खिलोनो के लिए किया करते थे।बस यहाँ हमारे बोलने के शब्द बदल जाते है। हम वो शब्द बच्चो पर डाल देते है की उनकी ख़ुशी के लिए कर रहे है।सच में तो हम बराबरी कर रहे होते है। हमारे साथ वाले हम उम्र के दोस्तों और रिस्तेदारो से। और खुद को उलझाए रखते है एक ऐसी दिखावे की जिंदगी में जहा हम खुशिया तो भूल जाते है। बस दिखावे की जिंदगी शुरू करदेते है। और वही सब देखकर उन बच्चो को भी वैसा ही बना देते है।
RITURAJ SHARMA