जब हम जन्म लेते है और धीरे धीरे बड़े होते है और समाज और परिवार से सीखते है हमारे जीने का तरीका और फिर उसी समाज के हिसाब से चलने लगते है हमें जो सिखाया जाता है उसी रस्ते पर चलने लगते है और फिर धीरे धीरे बड़े होते है समझदार होते है और विचारो में ही उलझे रहते है। हमारा जीवन कुछ करने से ज्यादा विचारो और सोचने में ही निकल रहा होता है मगर कभी यह नहीं सोचते की हमारा जन्म हुआ क्यों है हमारे जीने का उद्द्श्य क्या है हम सोचते तो बहुत है मगर हमारे विचारो को सही दिशा नहीं दे पाते। हमारे जीने जन्म लेने का कोई अर्थ भी है या फिर युही बस जीने आये है जहा आपका जन्म हुआ है जिस परिवार में आपका जन्म हुआ है उस परिवार के बारे में कभी कोशिश की या फिर हम उन्हें भी भूल गए। हमने कभी हमरे पूर्वजो का अतीत नहीं पड़ा होगा। उसपर विचार नहीं किया होगा। हम बुक्स पड़ते अच्छा लगता है। किसी के बारे में जानना अच्छा है
मगर उससे पहले खुद के बारे में जानना खुद के परिवार और उनके अतीत के बारे में जानना ज्यादा अच्छा होग। हम बस ये बाते करते है की हमारी हालत पहले ऐसे थे हमारा परिवार पहले ऐसा था बुक्स पढ़ना और उसे पढ़कर खुद को बदलना अच्छी बात है मगर उससे पहले हमें हमारे बारे में पड़लेना ज्यादा जरुरी है क्यों की जब हम खुद को समझ पाएंगे खुद के जन्म खुद के परिवार को समझ पाएंगे तो समाज और इसके रिवाजो को आसानी से समझ पाएंगे आज के इस जीवन में जहा हम एक लाइफ धरती पर सही से अच्छे कार्यो के साथ नहीं जी पा रहे हमें स्वर्ग की कामना होती है की स्वर्ग मिलना चाहिए। जब हम ये जो लाइफ है जो हमें कई बार मरने के बाद मिली है अगर इसे ही नहीं समझ पा रहे। इसके साथ ही बस औपचारिकताये पूरी कर रहे है। बिना सोचे चल रहे है और सोच स्वर्ग में जाने की। भगवान ने जो कर्म करने आपको भेजा है पहले वो तो करे। ये जीवन अमूल्य है हमरे कर्म ही इसका निर्णय करेंगे की हम क्या करने आये थे और क्या करगए। इसलिए लाइफ में जो भी करो पुरे फोकस के साथ करो। क्युकी एक ही जिंदगी है।