हमारा जन्म सपनो की दुनिया में नहीं हकीकत की दुनिया में जीने के लिए हुआ है।

कई बार ऐसा होता है। की जब हमें काम या नौकरी तलश होती है और हम काम की तलाश में बहुत जगह घूम रहे होते है। मगर बहुत कोशिसो में बाद भी नौकरी नहीं मिलती।हम परेशां होने लगते है। क्यकि एक टाइम ऐसा आता है लाइफ में जब हमें पैसे की बहुत जरुरत होती है। हम कुछ भी केसा भी काम मिल जाये हम करने के लिए तैयार होते है। और कोई नौकरी या काम हमें मिल भी जाता है। ये समय हमारा बहुत कठिन समय होता है। जब हम हमारे जीवन की नयी शुरुवात करते है एक काम के रूप में जिससे हमें कुछ पैसे मिलते है। और पैसे से हम हमारी आवश्यक जरूरते पूरी करते है। हमारी इच्छाएं बहुत होती है इनपर हमारा किसी का कण्ट्रोल नहीं होता है। जितना मिले उतना कम लगता है। मगर हम भी और ज्यादा और जायदा के चक्कर में पूरी लाइफ भागते रहते है। मगर कई बार ऐसा भी होता की हम परिवार और सामाजिक जीवन में बंधकर एक जगह जाकर खुद को समझाने लगते है। की बस जो मिल रहा है उसी में खुश रहो कही और ज्यादा और ज्यादा के चक्कर में जो नौकरी या काम हम कर रहे है। कही वो भी हमारे हाथसे न चल जाय। और हम फिर उसी काम को करते करते पूरी लाइफ चलते रहते है। क्यकि हमें उस लाइफ में कम्फर्ट जोन में महसूस करते है। की बस पुरे महीने के हिसाब से खर्च करना है। क्या जरूरते है। बस उसको एक आराम जोन में रहकर जीते रहते है।और अपनी लाइफ की इच्छाएं जो पहले बहुत थी। उनको धीरे धीरे खतम करते जाते है। हमें ये जो लाइफ मिली है खुलकर जीने के लोए मिली है। जिम्मेदरियो के साथ खुद की लाइफ भी जिनि होती है। मगर हम खुदको कंफर्ट जोन में रखकर लाइफ के साथ औपचारिकताये पूरी करते है। वो भी लोगो को देखकर की लोग क्या कहंगे क्या सोचेंगे। जबकि लोगो को हमारी लाइफ कोई मतलब ही नहीं होता। उनका काम सिर्फ बोल्नर का होता है। हम उनकी सुनकर हमारी लाइफ खराब कर लेते है। क्यकि वो लोग हमें कुछ करने ही नहीं देते। जैसे ही हम कुछ करने की सोचते है हमें डरा देते है। नेगेटिव कर देते है। अगर हम उन लोगो की न सुने और वो करे जो हमारा दिल कहता है। तो हम लाइफ में कुछ नया करसकते है। और हमारी जिंदगी को एक बेहतरीन तरीके से जी सकते है।

एक बार की बात है एक जंगल में एक पेड़ पर दो सफ़ेद कबूतर आकर बैठा करते थे। दोनों कबूतर सुबह आते और पेड़ की डाली पर बैठ जाते। मगर थोड़ी देर बैठने के बाद उनमे से एक कबूतर आराम से उड़ता और कभी इस पेड़ पर तो कभी उस पेड़ पर उड़ता रहता। जबकि दूसरा कबूतर एक बार पेड़ की डाल पर बैठता और बैठा ही रहता।वही उसी जंगल रोज एक लकड़हारा लकडिया काटने आया करता था। वह रोज उन दोनों कबूतरों को देखता दोनों कबूतर सफ़ेद रंग के थे। तो वह उसे आकर्षित करते थे। लकड़हारा उनमे से एक कबूतर को एक जगह बैठा देख परेशां होता उसे अच्छा नहीं लगता वह देखता और सोचता की एक कबूतर कैसे अपने पंखो की मदद से मस्त होकर उड़ रहा है। जबकि दूसरा उस डाल पर आकर आराम से बैठ जाता है।और बैठा ही रहता है। शायद वह अपने जीवन का उद्द्श्या समझ ही नहीं पा रहा है। उसने सोचा की क्यों न इसको इसकी ये आराम से बैठने की आदत को छुड़ाया जाये। एक दिन जब वो दोनों कबूतर वहां से चले गए। तब उस लकड़हारे ने पेड़ पेड़ पर चढ़कर पीछे से उस डाल को ही काट दिया जिस डाल पर वो दोनों कबूतर आकर बैठा करते थे। अब दूसरे दिन जब वो दोनों सफ़ेद कबूतर फिर उस पेड़ की तरफ आये तो उन्हें उनके बैठने वाली वो डाल उन्हें वहां मिली ही नहीं जो लकड़हारे द्वारा काट दी गई थी। इस पर जो उड़ने वाला कबूतर था जो थोड़ी देर बैठ कर उड़ जाया करता था। वह तो उड़ने लगा और ऊँचे असमाः में जा पंहुचा और इसी तरह उसे ऊँचा उड़ता देख। दूसरे कबूतर ने भी उसके उड़ना शुरू करदिया क्यकि जिस डाल पर वह आकर बैठा करता था वह उसका कम्फर्ट जोन बन चूका था। उसे रोज उस डाल पेड़ बैठने की आदत हो गई थी। अब यह सब देखकर वह लकड़हारा बहुत खुश हुआ। क्युकी उनसे उस कबूतर को उसने उसकी असली पहचान बता दी थी की उसका जन्म एक डाल पर बैठने के लिए नहीं बल्कि खुलकर अपने सपनो के साथ आसमान में उड़ने के लिए हुआ है।

तो हमारी लाइफ भी कुछ ऐसी ही है जैसा हम अपने मस्तिष्क में मन लेते है वैसे ही हम लाइफ क जीने लगते है। या फिर रिस्क लेने से डरने लगते है। जबकि लाइफ में कुछ रिस्क है ही नहीं हम खुद को हमारी जरूरतों में इतना उलझा लेते है की फिर और कुछ सोच ही नहीं पते।
आज हम जरुरतो को पूरा करने के लिए बहुत कुछ किश्तों पर लेलेते है। और फिर उन्हें चुकाते चक्कते पुर लाइफ को निकल देते है। और खुद को संतुस्ट कर लेते है। की ऐसे ही लाइफ चलेगी। हमें हमारी लाइफ को जीने तरीके बदलने चहिय। कुछ ऐसा करते रहना चाहिए जिसे हम कुछ नया सिख सके। हो सकता है हमारी लाइफ की सक्सेस किसी नए रस्ते पर हमारा इंतज़ार कर रही हो।

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