समय और धैर्य

एक बार एक साधु नदी के किनारे तपस्या कर रहा होता है। और जोर जोर से चिल्ला रहा होता है। जो चाहोगे वो पाओगे। जो चाहोगे वो पाओगे।
जो भी गाँव वाला वहां से निकलता उसे पागल समझ कर आगे निकल जाता। ऐसा बहुत दिनों तक होता रहा। फिर एक दिन एक लड़का वहां से निकल रहा होता है। वह साधु की आवाज सुनकर वहां रुक जाता है। और साधु से पूछता है। की क्या सच में आप जो मुझे चाहिए वो दे सकते है। साधु बोलै हाँ हाँ बोलो बताओ तुम्हे क्या चाहिए। यह सुनकर लड़के की आँखों में एक चमक जग उठी और वह उत्साह पूर्वक बोला। की में हीरे मोतियों का एक बड़ा व्यापारी बनना चाहता हु। साधो बोले ठीक है और ध्यान करके वो अपने हाथ में एक हीरा और एक मोती ले आये। और लड़के के एक हाथ में एक हीरा देते हुए बोले ये लो हीरा ये अनमोल है।इसका नाम समय है। इसको कभी अपने हाथ से मत निकलने देना। इसे अपनी मुट्ठी में रखना और तुम देखना तुम इससे जितने चाहो हीरे बना लोग। और फिर दूसरे हाथ में मोती देते हुए बोले। ये लो मोती। ये दुनिया का सबसे कीमती मोती है। और इसका नाम धैर्य है। समय कितना भी लगे बस इसे पहने रहना। और देखना इससे तुम जो चाहोगे वो पा लोगे।
हमारा जीवन भी कुछ ऐसा ही है। ये दोनों चीजे समय और धैर्य। दोनों हमारे लिए अनमोल है। इन्हे हमें कभी नहीं खोने देना चाहिए। क्युकी जब तक ये दोनों हमारे पास है हम दुनिया में कुछ भी हासिल कर सकते है। किसी भी चीज को चाहे वो वस्तु हो, धन हो,प्रतिष्ठा हो सब कुछ पाना आसान हो जाता है। बस हमें हमारे समय और धैर्य को कीमती समझना चाहिए।

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