लाइफ को जीना इतना आसान भी नहीं है जितना हम देखते है।

लाइफ को जीना इतना आसान भी नहीं है जितना हम देखते है। सबकुछ बाहरी दिखावा है जो हम्मे से कई लोग करते है उन्हें खुद पता नहीं होता की वो लाइफ को कहा और कैसे जी रहे होते है बस लगे होते एक दूसरे को देख कर बराबरी करने में और खुद को संतुष्ट करने में की हम भी लाइफ को मजे से जी रहे है। जबकि असल जिंदगी में कुछ और ही होता है जिसका पता सिर्फ हमें खुद को होता है। मेरा ये मानना है की हमें लाइफ को धीरे धीरे सुकून से जीना चाइये।और छोटी छोटी खुशियों को साथ लेकर आगे बढ़ना चाइये। जिससे हम जब आगे बड़े तो भविष्य में बात करने के लिए हमारे पास वो खुशियों के पल जरूर हो जिनकी बात करके हम भविष्य में भी मुस्कुरा सके। कई बार जल्दी जल्दी के चककर में हम खुद हमारे लिए ऐसी समस्या कड़ी कर लेते है। जिससे बचना हमें मुश्किल लगता है।

by rituraj

एक बार एक गुरु जी अपने शिष्यों के साथ वन से निकल रहे होते है तभी अचानक एक झाडी के पीछे से गुरु जी को किसी के रोने की आवाज सुनाई दी। गुरु जी और उनके शिष्य रुके और उन्होंने झाडी के पीछे जाकर देखा तो एक आदमी खाई की तरफ मुँह करके खड़ा था।l गुरूजी समझ गए की ये आदमी आत्महत्या करने जा रहा है ।और वह उस खाई की तरफ आगे बढ़ने ही वाला था की गुरूजी शांत स्वर में बोले बेटा लगता है तुम आत्महत्या करने जा रहे हो। मगर क्या तुम आत्महत्या करने से पहले मेरे शिष्यों पर एक उपकार कर सकते हो। उसने रोते हुए चहरे से गुरु की तरफ देखा और बोला भला में आपके शिष्यों पर क्या उपकार कर सकता हु। में तो खुद इस जिंदगी से परेशां मरने जा रहा हु। तो गुरजी बोले तुम बस इतना सा इन शिष्यों को बता दो की तुम आत्महत्या क्यों कर रहे हो। वह आदमी रुका और गुरु के चेहरे की तरफ देखने लगा। और उसके मन से वो बात बहार आने लगी और उसने बोलना शुरू किया। की आज से कुछ वर्ष पहले में अपने गांव में बहुत अच्छी जिंदगी जी रहा था कोई समस्या नहीं थी में अपनी बीवी और बच्चो के साथ खुश था। फिर एक दिन एक गांव का आदमी मेरे पास आया और बोला की यार कब तक यहाँ खेती करता रहेगा कबतक बच्चो को यहाँ गांव में रखेगा चल मेरे साथ शहर चल वह कोई छोटा व्यापर करलेना बच्चो को अच्छे स्कूल में पढ़ाना नहीं तो हमारे बच्चे भी हमारी तरह खेती ही करते रहेंगे। में उसके साथ पुरे परिवार को लेकर शहर आगया। और एक छोटा सा व्यापर भी शुरू करदिया।
और व्यापर चलने भी लगा। मगर अभी कुछ समय पहले पता नहीं किस की नजर लगी की मेरा व्यापर ठप्प हो गया। और फिर मेने उसे चलने के लिए गांव की जमीन बेच दी और वो पैसा भी उस व्यापर में लगा दिया। बच्चे भी अच्छे स्कूल में पढ़ रहे थे। तो अब उनकी फीस भी नहीं भर पा रहा था। कुछ लोगो से पैसे भी उधार लिए थे उनके पैसे भी नहीं चूका पा रहा हु। तो मुझे बस एक ही ख्याल आया और मेरे मन के अंदर से आवाज आयी की बस अब तेरा जीने का कोई मतलब नहीं है। इसलिए में यहाँ आत्महत्या करने चला आया। ये बात गुरु जी और उनके शिष्य बड़े ध्यान से सुन रहे थे। उसकी बात पूरी होने के बाद गुरजी उस आदमी से बोले बेटा ये सब किसके कर्म है। और ये सब किसने किया। उसने गुरु की बात सुनी और धीमी आवाज में बोला। ये सब मेरे कारण हुआ है। मेर कर्मो के कारण हुआ है।जब तुम्हे ये पता है की ये सब तुम्हरे कर्मो के कारण हुआ है तो इन सब की सजा अपने बीवी बच्चो को क्यों दे रहे हो। वह आदमी यह सुनकर मन ही मन सोचने लगा। फिर गुरु बोले की क्या तुम यह सोच कर मरने जा रहे हो की तुम्हारा लिया हुआ उधार तुम्हरी बीवी और तुम्हरे बच्चे चुकाएंगे। मगर ये दुनिया तो उन्हें भी नहीं जीने देगी। क्या तुम ये सोच रहे हो की उन्हें भी कल यही आकर आत्महत्या करनी पड़ेगी। वह आदमी घबरा गया और आने वाले कल के लिए सोचने लगा उसकी आँखों में भयानक स्वप्न आने लगे। तब उसे समझ आया की वह यह करने जा रहा था। वह गुरु के पेरो में गिर पड़ा। और माफ़ी मांगने लगा। फिर गुरु बोले की आज मरकर तुम खुद को माफ़ नहीं कर पाओगे। मगर आज जी कर तुम कल अपने परिवार को जरूर खुस रख पाओगे। गुरु का ज्ञान सुनकर उसने अपना फैसला बदल लिया और वापिस घर जाने का निर्णय लिया।

तो लाइफ में परेशानिया तो आती ही रहेंगी। बस हमें कभी हार नहीं माननी चाहिए क्यों की हम जो भी करते है अच्छे के लिए के लिए करते है हमारे आने वाले कल के लिए करते है।बस इस बात को सोचना चाइये की हमने कोशिश तो की न। कोई हमें कुछ बोलता है तो उसपर जल्दी से निर्णय नहीं लेने चाहिए आराम से सोच समझ कर आगे बढ़ना चाहिए।

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