मौन ओर श्मशान।

जब वो छत पर चढ़ कर चिल्ला रहा था।मुझे बचा लो।मुझे बचा लो।में मर रहा हूं।तब उसे बचाने के लिए हजारों की भीड़ जमा थी,नीचे।जब वो यही बात, एक-एक कर सबको बोल रहा था।मुझे बचा लो।मुझे बचा लो।में मर रहा हूं।तो सबको लगा कि पागल है।सामने तो खड़ा है।मर कहा रहा है।उसके अंदर की आवाज कोई सुन ही नहीं पा रहा था।शायद वो,अंदर से मर रहा था।बस कोई समझ नहीं पा रहा था।पागल नहीं था,वो जो खुद को बचाने की गुहार लगा रहा था।लेकिन वो खुद को बचा ही नहीं पाया।शायद कोई उसके अंदर की आवाज सुन ही नहीं पाया।ओर वो अंदर से पूरी तरह से मर गया।

अक्सर हमारी वास्तविक दुनिया में भी ऐसा ही होता है।जब हम अन्दर से मर रहे होते है।तो एक समय बाद इतने मौन हो जाते है।मानो श्मशान में देह रखी हो।ओर लोग बस उसे जलाने के इंतजार में खड़े हो।https://rrmotivation.com

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