भरोसा कांच की तरह होता है।
जिस दिन वो टूटता है।
बहुत जोर से आवाज करता है ।
क्योंकि सबको डर होता है जब तक ये पूरा था ।
सबको उसकी असलियत तो बताता था ।
मगर आज टूटा तो कोई उसे उठाने वाला भी नहीं है
भरोसा कांच की तरह होता है।
जिस दिन वो टूटता है।
बहुत जोर से आवाज करता है ।
क्योंकि सबको डर होता है जब तक ये पूरा था ।
सबको उसकी असलियत तो बताता था ।
मगर आज टूटा तो कोई उसे उठाने वाला भी नहीं है