जब कभी परेशां लगो।

जब कभी परेशां लगो उदास हो कुछ समझ नहीं आरहा हो। तो एक बार शमशान या फिर किसी पास के हॉस्पिटल में घूम आना।
वहां आपको आपसे बड़े भी मिलेंगे और आपसे छोटे भी।
फिर वहां आप खुदसे सवाल करना की आप कहा हो
और क्या आपकी परेशानी उनसे बड़ी है।जो आपके सामने है।

by rituraj

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