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कई बार आपने देखा होगा। जब कभी हम बहार जाते है नदी के किनारे जाकर मछलियों को आटा डालते है। और उसी जगह दूसरी तरफ कुछ मछलियो को पकड़ रहे होते है। यही हमारे भिन्न भिन्न कर्म है। जिसके जो कर्म है उन्हें वह करने ही पड़ते है। इसमें क्या अच्छा और क्या बुरा जब हमरे कर्म इस ब्रह्माण्ड में पहले से तय किये हुए है तो सबकुछ सही है और यह हमें मानना भी चाहिए। क्युकी कर्म ही आपके मनुष्य होने का प्रमाण है
by rituraj
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