उम्मीद भी तुमसे थी

उम्मीद भी तुमसे थी
क्योंकि मोहब्बत भी तुमसे थी
और उम्मीद थी बस इतनी कि…
तुम भी कभी मेरी नाराजगी पर मुझे मना सको

अगर मैं हर दफा
मांग लेती हूं माफिया तुमसे
तुम भी बस एक दफा मुझे प्यार से मना सको

यूं ही साथ रहने से कोई हमसफ़र नहीं बन जाता
अगर मैं कह देती हूं दिल की सारी बात तुमसे
कभी बेझिझक होकर तुम भी दिल के सारे हाल बता सको

कविता शर्मा

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