बार एक किसान था, वह हमेशा अपने खेत जोतता और भगवान से प्रार्थना करता कि है भगवान खेत जोत दिया है, बारिश कर देना।गांव में बारिश हो जाती और सभी की अच्छी फसल होती। पूरा गांव खुश रहता। यह सब अब हर साल ऐसे ही होने लगा। सभी किसान समय पर बारिश की वजह से खुश थे। किसान की भी अब आदत हो गई थी, कि वह खेत जोता और ऊपर आसमान में सर उठाकर कह देता, भगवान खेत जोत दिया है बस बारिश कर देना।
एक समय ऐसा हुआ, कि हर बार की तरह किसान ने खेत जोता और ऊपर आसमान में सर उठाकर बोल दिया कि भगवान खेत जोत दिया है बारिश कर देना, लेकिन इस बार बारिश नहीं हुई। तो सभी किसान चिंतित होने लगे कि बारिश नहीं हुई तो फसल खराब हो जाएगी, हमारा नुकसान हो जाएगा।
लेकिन उसकी किसान को भरोसा इतना ज्यादा हो गया था कि वह किसान अपने कर्म पूरे करना ही भूल गया और भगवान के भरोसे ही बैठा रहा। उसे किसान ने हर बार की तरह यह सोच लिया था कि बारिश जरूर होगी और वह निश्चिंत होकर बैठ गया।
बाकी सभी किसान समझ गए कि इस बार बारिश नहीं होगी, हमें पानी का इंतजाम खुद करना पड़ेगा। तो सभी किसान नहर ओर कुंए से खेतों में पानी का इंतजाम करने लगे और एक दूसरे की मदद से खेतों में पानी देने लगे। लेकिन वह किसान बस भगवान भरोसे ही रहा और अंत में बारिश नहीं हुई। बाकी सभी की फसलें लहरा उठी, बस उस एक किसान की फसल ही पूरी तरह खराब हो गई।अब बाकी सभी किसान हर साल की तरह खुश थे, बस वही एक किसान था जो भगवान को दोष दे रहा था कि आपने बाकी सब की फसलें लहरा दी, मेरे साथ ही ऐसा क्यों किया।
हमारी जिंदगी भी हम कई जगह भरोसा करते हैं और बस भरोसे की वजह से अपना कर्म भूल जाते हैं। हम सोचते हैं कि सब कुछ ठीक ही तो हो रहा है, सब कुछ ऊपर वाला दे तो रहा है। ईश्वर हमें हमेशा देखता रहता है, उसकी नजरें हमेशा हम पर रहती है। वह देखता है कि हम कर्म कर भी रहे है कि नहीं। या फिर उनसे ही सारी उम्मीदें लगाये बैठे है। इसलिए हमेशा अपने कर्म करते रहे।ओर आगे बढ़ते रहे।
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