अकेले रहना सीखो। क्युकी जो लोग अकेले रहते वो खुद की अलग पहचान बनाते है।एक बार बुद्धा का एक शिष्य एकेले रहता था उसे अकेले में समय बिताना बहुत पसंद था। आश्रम के काम को करने बाद वो अकेला एक जगह पर जाकर बेथ जाता था उसे अकेले रहना बहुत पसंद था। जब भी अकेले रहता बहुत जयादा खुश रहता था। उसके आश्रम में एक दो ही मित्र थे। उसका ऐसे अकेले रहना आश्रम के बच्चो को अच्छा नहीं लगता क्युकी सब साथ रहते खेलते, हसी मजाक करते मगर आश्रम के बच्चो को उसका ऐसे अकेला रहना अच्चा नहीं लगता और वो उसे घमंडी, सनकी कहते। येसब देखकर और सुनकर वो एक बार अपने गुरु के पास पंहुचा और गुरु को सब बोल दिया। की मुझे एकांत में रहना पसंद है। और ये सब उसका मजाक बनाते है गुरु आत्मज्ञानी थे गुरु ने ये सब सुनकर उस शिष्य को कहा की तुम्हे एकांत पसंद है इसका मतलब है तुम दुसरो से अलग हो और अपने एकांत प्रेम का सम्मान करो। में आज में तुम्हे 4 ऐसी बाते बताता हु। जो अकेले रहने वाले लगो में पाई जाती है।
1 ऐसे लोग दुसरो की तुलना में खुद का ज्याद समझ पाते है और खुद के प्रति ज्यादा जागरुक होते है खुद के बारे ज्यादा समझ पातेहै खुद की परिष्ती को ज्यादा समझ पाते है
2 इनका व्यक्तिवा अलग होता है। यही है इनका व्यक्तित्व दुसरो के साथ मिश्रित होता है। इनके खुद के अपने नियम होते है इनका अलग निरालापन होता है
3 ये सकारत्मक होते है जबकि बहुत से लोगो के साथ तो लालच और घमंड आते है मगर अकेले रहने वाले को मन में ये विचार बहुत कम आते है बस खुद के बारे में ज्यादा सोचते है। खुद पर निर्भर रहते है।
4 ये ज्यादा अनुशासीत होते है ये अपना काम खुद ही करते है और दुसरो से कम से कम सहायता लेते है। ये अपने समय की कदर करते है
इसलिए अकेले रहना भी अलग पहचान बनता है।