जो सोचोगे वही मिलता है।

जो सोचोगे वही मिलता है। बस हमें उसे पाने का तरीका खोजना होता है। और हमें यह पता होना चाहिए। की जो चीज हमें चाहिए वह हमरे कितनी आवश्यक है। या हमें उस चीज की कितनी जरूरत है। हमारी सोच हमारी जरुरत को पैदा करती है। और हमें उस चीज को हमारे पास पहुंचने की शक्ति देती है। इस धरती इस ब्रह्माण्ड में हर एक चीज पाना आसान है। बस अहम यहाँ पता होना चाहिए की वह चीज हमें कीस तरह चाहिए कितने समय में चाहिए। हम आसानी से चीजों को अपनी और आकर्षित कर सकते है। बस हमारा मन और मस्तिष्क को ये समझाना होता है। हम बहुत सी बार सोचते है की आज हमें इस चीज की आवश्यकता है। और जब हम बाजार में निकलते है। तो वह चीज हमें उसकी तरफ आकर्षित करती है।

हमने अक्सर रोड पर मांगने वाले कुछ लोग देखे होंगे। वह हमसे वही डिमांड करते है। जिसकी उन्हें उस समय जरूरत होती है। जैसा की हम सुनते है की पेट भरने के लिए दो वक्त की रोटी मिल जाए बस। तो इसी हिसाब से वह भी डिमांड करते है जब वह हमसे कुछ मांग रहे होते है। उससे कई घंटो पहले वह अपने दिमाग में यह सोच बना लेते है। की उन्हें आज क्या चाइये। और वह उसी हिसाब से वह जगह चुनते है। और वह जल्दी डिसिशन भी लेते है। क्युकी उन्हें समय का भी ध्यान होता है। जब कभी वो हमें जिस भी जगह पर मिलते है। हमें सबसे पहले रूपये की डिमांड करते है। और जब हम उन्हें रूपये नहीं देते तो फिर वह कुछ खाने की डिमांड करते है। वह यह सब अपनी जरूरतों और इच्छाओ के आधार पूरा कर लेते है। जब वह सुबह इन सब चीजों के लिए निकलते है। तब ही वह यह सब तय करलेते है। की आज पूरा दिन किस जरूरत की डिमांड करनी है। और उनकी ये सारी इचछाइये पूरी भी होती है। सिर्फ एक दिन में वो अपनी वह इच्छा पूरी करलेते है। जो भी चीज की उन्हें जरूरत होती है। हम या तो उन्हें मन करदेते है। या इमोशन में उन्हें दिला देते है। सोचो आपने कितनो की डिमांड पूरी की आजतक में सोचता हु अधिकतर को दिया ही होगा। मना नहीं किया होगा। और अधिकतर वही दिया होगा जिसकी उसने डिमांड की होगी। और यह सब ब्रह्माण्ड की शक्ति है। जो डिमांड करता है। उसे वह चीज मिलती ही है। बस हम डिमांड सही से नहीं करते। और फिर सोचते रहते है। की बैठे बैठे सब कुछ मिल जाये। उस मांगने वाले का लक्ष्य हमारे लक्ष्य से जायदा ताकतवर होता है। क्युकी उसे पता होता है की उसके पास कोई दूसरा ऑप्शन नहीं है। अगर वह डिमांड नहीं करेगा तो वास्तिवकता में भूक से मर जायेगा। इसी प्रकार उसके बच्चे भी बचपन से ही निडर होते है। और किसी तरह की शर्म नहीं करते। जबकि उनके पास कुछ नहीं होता। उन्हें पता होता है की उन्हें बस डिमांड ही तो करनी है। कोई कुछ दे तो ठीक नहीं डी तो ठीक।मगर वह डर कर हताश नहीं होते कल फिर से नया सवेरा होता है और फिर से वह ब्रह्मण्ड के साथ होते है। वह बस उनके कर्म कर कर रहे होते है। और जरूरत के हिसाब से चीजों को अपनी और आकर्षित आकर रहे होते है। बस हमें भी हमारे डर को ख़तम करना है। और जो चाहिए उसकी ध्यान और योग के साथ डिमांड करनी है। जो सोचेंगे वो हर चीज मिलेगी

सोचो और डिमांड करो की आपको वह चीज कहा और किस समय चाहिए। उस चीज को पाने के लिए आपने कितने प्रयास किये। आपका लक्ष्य क्या है। उस लक्ष्य को पाने के लिए आप क्या कर रहे हो। आपके डिमांड करने का तरीका क्या है। डर को कैसे ख़त्म करे। उसी तरह सफलता भी हमें जल्दी नहीं मिलती। बस हमें उस लक्ष्य को पाने के अलग अलग प्रयास करते रहने चाहिए। नए नए तरीके ढूंढ़ते रहना चाहिए।

जो भी प्रयास तरीके आप उस लक्ष्य तक पहुंचने के लिए कर रहे हो वह एक ुयनिक तरीका है। उस तरीका को किसी और से कम्पायरे मत करो। क्युकी जब हम खुद को किसी से कम्पायर करैत है। तो बहुत सरे नेगेटिव और पोसिटिव थॉट्स आते है। और हमारे मस्तिष्क पर हावी होने लगते है। हमेशा वास्तिवकता में जिओ। जो आज होना है उसे आज ही करो उसके लिए आज ही निर्णय लो।

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