अब जब रिश्ते बनाए है।तो मौका तो सबको मिलना चाहिए बोलने का अपनी बात रखने का। अब चाहे उनकी कही बाते उनकी सोच अच्छी या बुरे लगे हमे।
बस हमे उसके ज्यादा अच्छे बनने से खुद को गलत नही समझना चाहिए।क्युकी जो भी कोई कुछ हमारे लिए करता है हमे अपना समझकर ही करता है।और हम ही तो मौका देते है।उन्हें हमारी लाइफ में आने का हमारे साथ समय बिताने का। और फिर एक समय पर उसे आगे बढ़ता देख छोटा या बड़ा सोचने लगते है।उसके लिए मन से कुछ और और दिमाग से कुछ और सोचने लगते है। वैसे हम कुछ करते ही नहीं है।इन सबके पीछे ब्रह्मांड की ऊर्जा एक ताकत लगी होती है।