एक बार एक इंसान ने एक बहुत खूबसूरत चिड़या बहुत समय से पिंजरे में कैद की हुई थी।वह उससे बहुत प्यार करता था और उसका बहुत ख्याल रखता था।उस उसे चिड़िया के साथ बहुत समय हो गया था मोहल्ले वाले जब भी उस चिड़िया को उसके साथ खेलते देखते. उससे हमेशा बोलता कब तक इस चिड़िया को ऐसे कैद करके रखोगे अब तो उसे भी आजाद पंछियों की तरह उड़ने दो । अब तो बहुत समय हो गया उडाला दो इसे उसे यह सुन कर बहुत गुस्सा आता। मगर वह चुप रहता किसी को कुछ नही बोलता।मगर बोलने वाले कहा किसी को छोड़ते है।वो तो बोलते है एक दिन ये सुन सुन कर वह तंग आगया और उसने फ़ैसला किया की आज वह इस चिडया को उड़ा देगा और पिंजरे से आजाद करेगा।बस उसने बिना कुछ सोचे उस चिड़िया को पिंजरे से आजाद कर दिया।अब वो उस चिड़िया को उड़ते देखे बड़ा खुश हो रहा था।मगर जैसे ही वह चिड़िया उसकी नजरों से दूर हुई।जैसे ही वो उसे दिखना बंद हुई। वो परेशान होने लगा और जब उसने वापिस आकर पिंजरे की तरफ देखा तो उसे बड़ा बुरा लगा और मेहसुस हुआ की लोगो के बोलने के चक्कर में लोगो की सुनने के चक्कर ने उसने अपनी खूबसूरत सी नन्ही सी चिड़िया खो दी।
निष्कर्ष::: हमारी लाइफ में भी ऐसा ही होता है।जब लोग हमे किसी चीज के लिए बोलना शुरू करते है।तो हम उनके हिसाब से चलना शुरू कर देते है।उनकी बातो को मन मंतिष्क में बिठा लेते है।और दिल से सोचने की जगह लोग क्या कहेंगे सोच कर फैसले लेते है।और फिर कुछ समय बाद खुद ही पछताने लगते है।
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