सबकी अपनी जिंदगी है।

जब भी जीवन में बड़े डिसीजन लेने होते है तो सब बोलते है जो भी डिसीजन लो सोच समझकर लो । मगर फिर जब हम डिसीजन लेते है तो वही लोग हमे मजबूर बना देते है। लाइफ में दो बार जन्म मिलते है।पहला जन्म जब हम पैदा होते है और दूसरा जन्म शादी के बाद जिससे हम शादी करते है। एक जीवन जब हम जन्म तब हमे पता नहीं होता की हमे केसा जीवन जीना है। हमारे जीवन का उद्देश्य क्या है,और जब हमे पता होता है कि हमे लाईफ जीनी है हमारी खुशीयां कहा है तब हमे समाज और लोगो को देखकर उनके हिसाब से डिसीजन लेने होते है।कभी कभी हमसे बड़े भी नहीं समझ पाते,उन्हें भी समझ नहीं आता की क्या सही है क्या गलत वो बस समाज के डर से डिसीजन लेने पर हमे मज़बूर कर देते है और पुरानी नेगेटिव बातो को हम से जोड़ने लगते है।"की उसने ऐसा किया उनके यहाँ ऐसा हुआ और सबको एक नजरीये से देखने लगते है।अगर हम इसी तरीके नजरिए से सबको देखते रहे तो खुशियाँ रहेंगी ही नहीं क्या हम भी उसी समाज का हिस्सा नही है। कभी ना कभी हमे भी वही सब देखना पड़ेगा।सब कहते तो है की खुश रहो मगर खुश रहते नहीं देते हैं । सबकी अपनी जिंदगी है मगर सोच बहुत अलग।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error

Enjoy this blog? Please spread the word :)