विश्वाश ही इस यूनिवर्स का सच्चा नियम है।
विश्वाश से की जाने वाली प्रार्थना हमेशा पूरी होती है।
और हमारी प्रार्थना परमात्मा तक पहुंचती है।
हमे यह विश्वाश होना चाहिए की हम परमात्मा के बताए रास्ते पर चल रहे है।प्रार्थना हमारी इच्छा शक्ति को सच करने का तरीका है।
हमारी प्रार्थना हमारी इच्छा शक्ति के अनुसार की कार्य करती है।
हम हमारे विचारों को प्रार्थना के जरिए शक्ति शाली बनाते है।हमारी प्रार्थना हमारे विचारों और सोच से भरी होती है।और उसी रूप में स्वीकार की जाती है।
सफर यदि करना है तो मंजिल का पता रखो।
शिखर तक पहुंचना है तो खुद को अकेला रखो।
मुश्किलें तो आएंगी और जायेगी इस सफर में।
बस मुश्किलों से तुम कभी घबराओ मत।
कोन क्या कहेगा क्या सोचेगा तुम्हारे लिए।
इसमें तुम खुद को कभी उलझाओ मत।